कहते हैं न कि जब पिता के जूते में पुत्र का पैर आने लगे तो पुत्र के साथ मित्रवत् व्यवहार करना चाहिए।
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कहते हैं न कि जब पिता के जूते में पुत्र का पैर आने लगे तो पुत्र के साथ मित्रवत् व्यवहार करना चाहिए।
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जब कृष्ण को वहाँ पहुँचकर यह पता चला कि ये पाँचो साधुवेश धारी पाण्डव उनके सगे फुफेरे भाई हैं तो उन्होंने उनसे भाई के स्थान पर मित्रवत् व्यवहार करना उचित समझा और अन्त तक उस मित्रता को निभाया भी.
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जब कृष्ण को वहाँ पहुँचकर यह पता चला कि ये पाँचो साधुवेश धारी पाण्डव उनके सगे फुफेरे भाई हैं तो उन्होंने उनसे भाई के स्थान पर मित्रवत् व्यवहार करना उचित समझा और अन्त तक उस मित्रता को निभाया भी. यूँ तो कृष्ण की मित्रता सभी पाँचो भाइयों से थी किन्तु अर्जुन से उन्हें कुछ विशेष ही लगाव था.